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हाइड्रोसील क्या है – What is hydrocele in Hindi
हाइड्रोसील साफ़ द्रव से भरी एक थैली होती हैं जो पुरुष के अंडकोष के पास बनती हैं। आम भाषा में कहे तो जब किसी पुरुष के अंडकोष में पानी (द्रव) भर जाता हैं, तो उसे हाइड्रोसील कहा जाता हैं। इस बीमारी में पुरुष के अंडकोष सामान्य से बड़े हो जाते हैं।
हाइड्रोसील छोटे बच्चों में ज्यादातर देखा जाता हैं और छोटे बच्चों में यह कभी-कभी अपने आप ही ठीक हो जाता हैं बिना किसी इलाज के।
बड़े बच्चों और पुरुषो में यह समस्या किसी संक्रमण या अंडकोष में चोट लगने से हो सकती हैं या फिर यह बिना किसी कारण के भी हो जाता हैं।
हाइड्रोसील के प्रकार – Types of hydrocele in Hindi
हाइड्रोसील के दो प्रकार होते हैं। –
1. कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील – Communicating Hydrocele
कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील में द्रव से भरी थैली पुरे तरह से बंद नहीं होती हैं। थैली खुली होने के कारण अंडकोष में भरा द्रव थैली के अंदर चला जाता हैं। इससे अंडकोष में सुजन और दर्द भी हो जाता हैं, जो पुरुष हर्निया से पीड़ित होता है यह समस्या अधिकतर उसी को होती हैं।
2. नॉनकम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील – Noncommunicating Hydrocele
इसने द्रव से भरी हुई थैली बंद होती हैं और अंडकोष में द्रव जमा नहीं हो पता हैं। नॉनकम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील की समस्या अधिक 1 साल के नवजात शिशुओ में ज्यादा होती हैं, जोकि खुद ही बिना किसी उपचार के ठीक हो जाता हैं।
हाइड्रोसील के लक्षण – Symptoms of hydrocele in Hindi
हाइड्रोसील की समस्या होने पर कई लक्षण देखने को मिलते हैं जैसे –
- वृषण (अंडकोष) में दर्द होना।
- अंडकोष में सुजन का आना।
- अंडकोष के आकार में वृद्धि होना।
- चलने-फिरने में परेशानी होना।
- उठने-बैठने में दिक्कत होना।
हाइड्रोसील के कारण – Hydrocele causes in Hindi
- आनुवंशिकी कारण हो सकता हैं।
- प्रेगनेंसी में किसी समस्या का होना – इसमें बच्चो को पेट में ही यह समस्या हो जाती हैं।
- अंडकोष में किसी प्रकार की चोट लग जाना।
- यौन संचारित संक्रमण तथा इससे जुड़े अन्य संक्रमण का होना।
- प्रोस्टेट कैंसर का होना।
- हर्निया हो जाना।
हाइड्रोसील से होने वाले नुकसान – Side effects of hydrocele in Hindi
यदि हाइड्रोसील का इलाज सही समय पर ना कराया जाए तो इसके कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं जो काफी घातक होते हैं जैसे –
- बार-बार बुखार का होना।
- अत्याधिक खून का बहना।
- लाल निशान पड़ जाना।
- अंडकोष के दर्द होना।
- अंडकोष में सूजन होना।
हाइड्रोसील से बचाव के उपाय – Prevention of hydrocele in Hindi
हाइड्रोसील से कैसे बचाव करें ?
हालांकि यह बिना किसी कारण के हो जाता हैं। लेकिन फिर भी इससे बचने के लिए हमें कुछ बातों का जरुर ध्यान रखना चाहिए जैसे –
- दौड़ते समय लंगोट का प्रयोग करें।
- इसके अलावा दूसरे खेल जैसे फुटबॉल और वॉलीबॉल जैसे खेल खेलते समय भी लंगोट का प्रयोग करें।
- किसी भी तरह की एक्सरसाइज या कोई वर्कआउट करते समय भी लंगोट जरुर पहने।
- क्रिकेट खेलते समय सुरक्षा गार्ड (Gear) जरूर पहनना चाहिए।
- ऐसा करके आप हाइड्रोसील को होने से रोक सकते हैं।
हाइड्रोसील का परीक्षण – Hydrocele test in Hindi
डॉक्टर हाइड्रोसील की जांच कुछ इस तरह करते हैं जिस में शामिल है।
- बड़े हुए अंडकोष की जांच करना।
- अंडकोष की नाजुकता की जाँच की जाती हैं।
- पेट और अंडकोष पर हल्का दबाव डाला जाता है यह देखने के लिए कि कहीं हर्निया तो नहीं है।
- रक्त और मूत्र का भी परीक्षण किया जाता है।
- अल्ट्रासाउंड किया जाता है जिससे हर्निया, अंडकोष में ट्यूमर व सूजन का पता लग जाता है।
हाइड्रोसील का उपचार – Hydrocele treatment in Hindi
आमतौर पर हाइड्रोसील की समस्या छोटे बच्चे वह नवजात शिशु में खुद पर खुद ठीक हो जाती है और यदि यह 6 से 12 महीनों तक लगातार बनी रहे और ठीक नहीं होती तो इसका इलाज कराएं।
क्योंकि 12 से 18 महीनों में यह कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील होता हैं और इसका इलाज करने के लिए सर्जरी भी करनी पड़ सकती है।
अंडकोष की सर्जरी करने की जरूरत उस टाइम पड़ती है। जब किसी भी तरह के इलाज से यह ठीक नहीं होता है तो सर्जरी एक लास्ट ऑप्शन बचता है।
हाइड्रोसील का ऑपरेशन कैसे होता है – Hydrocele operation in Hindi
हाइड्रोसील को ठीक करने के लिए सर्जरी यानी ऑपरेशन सरल और सिंपल तरीका है। इस सर्जरी में अंडकोष में एक छोटा सा कट लगाकर अंडकोष में जमे द्रव को बाहर निकाल दिया जाता है और फिर कट को बंद कर दिया जाता है।
1 महीने तक आप को ध्यान रखना चाहिए कि सर्जरी वाली जगह पर किसी भी तरह की कोई चोट ना लगे।
सर्जरी के बाद सूजन का आना सामान्य है। लेकिन यदि आपको दर्द, अत्याधिक सूजन रक्त का बहना आदि समस्याएं हो रही है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
हाइड्रोसील के ऑपरेशन का खर्च – Hydrocele operation cost in India
अगर हाइड्रोसील के ऑपरेशन के खर्चे की बात करें तो यह कई बातों पर निर्भर करता है। जैसे गांव या शहर प्राइवेट अस्पताल या सरकारी अस्पताल और की बातों पर निर्भर करता है। लेकिन अगर मोटा मोटा हिसाब लगाया जाए, तो यदि आप एक छोटे प्राइवेट अस्पताल में हाइड्रोसील का ऑपरेशन कराने में लगभग 10 से 20 हजार तक रुपए खर्च हो जाते हैं।
यदि आप किसी सरकारी अस्पताल में कराते है, तो हो सकता हैं कि आपका पैसा खर्च ना हो।
हाइड्रोसील के घरेलू उपचार – Hydrocele home remedies in Hindi
इसे ध्यान से पढ़े – हाइड्रोसील का घरेलू उपचार कैसे करें
- हाइड्रोसील की समस्या में अंडकोष को हमेशा बांधकर रखे। इन्हें बंधने के लिए लंगोट का इस्तेमाल करें उन्हें लटकने न दे और दोड़ते खलते समय कभी भी ढीला ना छोड़े।
- दो रत्ती फूला हुआ सुहागा गुड के साथ सुबह तीन से चार दिनों तक लगातार लेने से अंडकोष की सूजन कम होती है।
- हल्दी के लेप को अंडकोष पर लगाने से भी सूजन कम होती है।
- काटेरी की जड़ को सुखाकर उसे पीसकर उसका पाउडर बना ले। अब कलि मिर्च को पीसकर उसका भी पाउडर बना ले और दोनों को मिला ले इस चूर्ण का 15 ग्राम पानी के साथ ले इसे लेने से 10 दिनों में आपकी समस्या खत्म हो सकती हैं।
- 5 ग्राम कालीमिर्च 10 ग्राम जीरे दोनों को पीसकर पाउडर बना लें। जैतून का तेल मिलाएं और पेस्ट जैसा बना ले इसे अंडकोष पर सुबह-शाम लगाये यह भी आपको हाइड्रोसील की समस्या में काफी आराम देता है।
हाइड्रोसील की आयुर्वेदिक दवा – Ayurvedic medicine of hydrocele in Hindi
एक ग्राम नौसादर को अच्छी तरह से पीसकर पाउडर बना लें और 50 ml शराब ले इसमें मिला ले इसे अपने अंडकोष पर लगाये इसे लगाने से सुजन और दर्द खत्म हो जाता हैं। कुछ दिनों तक रोजाना इसे लगाने से हाइड्रोसील की समस्या ठीक हो जाती हैं।
हाइड्रोसील में क्या खाना चाहिए – What to eat in hydrocele in Hindi
हाइड्रोसील की समस्या में खड़े होकर खाना पीना बिलकुल छोड़ दे।
आपको ऐसी चीजे खानी चाहिए जो तासीर में ठंडी होती हैं। ऐसी चीजे जो आपके शरीर को ठंडक दे जैसे – सत्तू, निम्बू पानी, तरबूज आदि।
हाइड्रोसील में क्या नहीं खाना चाहिए – What not to eat in hydrocele in Hindi
इस समस्या में कोई भी गरम चीज न खाए, जो आपके शरीर में गर्मी पैदा करें मतलब कि ऐसी चीजो को खाना बिलकुल बंद कर दे। जो तासीर में गरम हैं जैसे – काजू, बादाम, बाजार, हल्दी, अंडा आदि।
इसे पढ़ें – शीघ्रपतन का इलाज
निष्कर्ष – The Conclusion
हाइड्रोसील एक आम समस्या है और इसका इलाज भी संभव हैं। हो सके तो आप इसका इलाज किसी अच्छे डॉक्टर से कराये।
आप घर पर इसका देसी इलाज कर सकते हैं। लेकिन ज्यादा अच्छा होगा कि आप इसे किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाये और इसका सही इलाज कराये और इस बीमारी से निजात पाये।