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आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या – Daily routine according to ayurveda in Hindi
दोस्तों हमारा डेली रूटीन यानि दिनचर्या कैसा होना चाहिए। जिससे हम शारीरिक और मानसिक फिट रहे। हमारी बॉडी में किसी भी तरह की कोई बीमारी ना लगे। शरीर में हमेशा एक पॉजिटिव एनर्जी फ्लो करें, तो आयुर्वेद में इसे एक प्रॉपर तरीके से बताया गया हैं।
पिछले कई महीनों से इस रूटीन मैं खुद फॉलो कर रहा हूँ। जो रिजल्ट सामने आये हैं एकदम हैरान कर देने वाले हैं तो आइये जानते हैं क्या हैं वो आयुर्वेदिक डेली रूटीन।
दोस्तों आयुर्वेद में हर चीज को बॉडी के कोर एलिमेंट से जोड़ा गया है। यह शरीर में मौजोद वात पित्त और कफ पर बेस्ड हैं और आयुर्वेद में हर बॉडी टाइप के इंसान के लिए एक अलग रूटीन हैं।
आयुर्वेद के अनुसार सुबह की दिनचर्या – Morning routine as per ayurveda in Hindi
सुबह जल्दी उठे – Get up early in the morning
तो शुरु करते हैं सुबह उठाने से – आयुर्वेद में मोर्निंग में उठने का सही टाइम हैं Last Phase of Darkness यानि सूरज निकलने से पहले हैं और जिसे भ्रममुर्त भी कहा जाता हैं।
शायद आपमें से बहुत से लोग यह बात जानते हो और इसे फॉलो भी करते हो। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आकिर इस समय उठने को क्यों कहा जाता हैं।
क्योंकि इस टाइम हमारी बॉडी में कफ तत्व का लेवल कम हो जाता हैं और वात तत्व का लेवल बढ़ जाता हैं। वात तत्व बढ़ जाने से हमारी बॉडी और दिमाग सक्रिय हो जाते हैं, तो अगर आप इस समय नहीं उठते हैं, तो आपने महसूस किया होगा कि इस टाइम आपको ज्यादा सपने आते हैं और वो सभी सपने आपको याद रहते हैं। इसका कारण हैं कि हमारा माइंड एक्टिवेट हो चूका था। इसलिए हमें इस टाइम नींद से उठ जाना चाहिए।
एक्सरसाइज और योगा करें – Exercise and Yoga
आयुर्वेद में इस समय को एक्सरसाइज और योगा के लिए सबसे बेस्ट बताया गया हैं।
सुबह उठने के बाद सबसे पहले एक गिलास पानी पिए और भी फ्रेश हो ले उसके बाद चहरे को नार्मल पानी से धोये और फिर योगा या एक्सरसाइज करे।
बहुत से लोगों का सवाल होता हैं कि आकिर कितनी देर तक योग या एक्सरसाइज करे तो यह आपके ऊपर निर्भर करता हैं।
अगर आपकी बॉडी कफ नेचर कि हैं, तो आपको थोडा हैवी वर्कआउट करना चाहिए। लेकिन अगर आपकी बॉडी पित्त नेचर कि हैं तो आपको नार्मल वर्कआउट करना चाहिए और यदि आप वात नेचर के है, तो आप के लिए लो इंटेंसिटी में कम वर्कआउट करना सही हैं।
आयुर्वेद बताता हैं कि एक इंसान को तब तक वर्कआउट करना चाहिए। जब तक उसकी बॉडी से पसीना निकलना स्टार्ट न हो जाये।
पसीना आने का मतलब हैं कि आपकी बॉडी में गर्मी उत्पन हो चुकि हैं और बॉडी इस समय पूरी तरह से एक्टिवेट हैं।
स्नान करें – Get a shower
वर्कआउट करने के आधे घंटे बाद नहा लेना चाहिए और नहाने के लिए ठंडे पानी का यूज़ करे, क्योंकि आयुर्वेद कभी भी गरम पानी से नहाना प्रेफर नहीं करता हैं। यदि आप गरम पानी से नहाते हैं तो बॉडी के सभी छिद्र खुल जाते हैं। जिससे बॉडी का नेचुरल आयल बाहर निकाल जाता हैं, तो बहेतर होगा कि आप रूम तापमान या ठंडे पानी से ही नहाए।
मेडिटेशन करें – Do meditation
नहाने के बाद ध्यान यानि मेडिटेशन के लिए कहा गया हैं। जिस तरह बॉडी को एक्सरसाइज की जरुरत होती हैं। उसी तरह दिमाग को भी एक्टिव रखने के लिए एक्सरसाइज की जरुरत होती हैं।
मेडिटेशन करने से दिमाग कि सोचने समझने कि कैपिसिटी बढ़ने लगती हैं यह हमारे पुरे दिन के गोल्स को करने में मदद करते हैं। मन से बेचेनी हटाने और मानसिक रूप से स्ट्रोंग करने में भी मदद करता हैं।
बहुत से लोग ब्रेकफास्ट के बाद मेडिटेशन करते हैं जो सही नहीं हैं क्योंकि ब्रेकफ़ास्ट करने के बाद हमारा पाचन तंत्र एक्टिवेट हो जाता हैं। पाचन क्रिया में ब्लड सप्लाई बिजी हो जाता हैं, जो फिर मेडिटेशन में Complete Blood Circulation दिमाग तक नहीं जा पता इसीलिए मेडिटेशन हमेशा खाली पेट ही करनी चाहिए।
आयुर्वेद के अनुसार नाश्ता – Breakfast according to ayurveda in Hindi
इसके बाद करना हैं ब्रेकफास्ट और इसे को हमेशा सूरज निकलने के बाद ही करना चाहिए इसका रीज़न हैं जैसे सूरज निकलता हैं, तो हमारी बॉडी में अग्नि तत्व एक्टिव हो जाता हैं जो पाचन के लिए आवश्यक हैं।
आयुर्वेद ब्रेकफास्ट में हल्का खाना खाने कि सलाह देता हैं। वो इसलिए क्योंकि पाचन तंत्र रातभर रेस्ट मोड पर था और एक दाम से हैवी खाना खाने से दिगेस्तिओं पर बुरा असर पड़ सकता हैं।
ब्रेकफास्ट के बाद आप अपना काम कर सकते हैं यानि स्कूल कोलिज या ऑफिस जो भी आपका काम हैं।
आयुर्वेद के अनुसार दोपहर के भोजन का समय – Lunch time according to ayurveda in Hindi
आयुर्वेद में लंच का सही समय 1 बजे बताया गया हैं आप 1 बजे के आसपास लंच कर सकते हैं। आपका लंच हैवी होना चाहिए आप जितना चाहे खान सकते हैं यह भोजन हमारे पुरे दिन के हिसाब से सबसे ज्यादा हैवी होनी चाहिए।
इसके बाद आप अपनी नार्मल वर्क लाइफ को कंटिन्यू कर सकते हैं।
आयुर्वेद में शाम की दिनचर्या – Evening routine ayurveda in Hindi
आयुर्वेद कहता हैं कि शाम के समय आप अपनी लाइफ में कुछ ऐसी एक्टिविटी ऐड करे। जो आपको पसंद हो जिसे करने में आपको मजा आये और स्पोर्ट्स हो सकता हैं पंटिंग या म्यूजिक कुछ भी हो सकता हैं। मतलब कि आप अपनी लाइफ में कुछ न कुछ एक्टिविटी जरुर ऐड करें।
आयुर्वेद के अनुसार शाम का भोजन कब करें – Dinner time according to ayurveda in Hindi
अब आते है डिनर पर – दोस्तों डिनर हमें सूर्यास्त होने से पहले कर लेना चाहिए क्योंकि सूर्यास्त होने के बाद बॉडी कि पाचन कि क्रिया धीमी हो जाती हैं। आयुर्वेद कहता हैं कि डिनर करने के कम से कम दो घंटे बाद सोना चाहिए।
अगर आप खाना खाने के तुरंत बाद सो जाते हैं तो इससे आपको हेल्थ से जुडी समस्याए हो सकती हैं और दिमाग के सोचने समझने कि शक्ति कम हो जाती हैं
आयुर्वेद के अनुसार कितनी नींद लें – Sleep time according to ayurveda in Hindi
दोस्तों आयुर्वेद में सोने का भी समय बताया गया हैं यानि आपको कितने समय के लिए सोना चाहिए आयुर्वेद कहता हैं कि आपको तब तक सोना चाहिए जब तक आप सोने के बाद खुद से न उठ जाओ यानि सुबह उठने के लिए अलार्म सेट न करें।
क्योंकि जब आपको कोई और उठता हैं, तो आप चिडचिडा फील करते हैं लेकिन अगर आप खुद ही उठते हैं, तो फ्रेश एंड एक्टिव फील करते हैं।
इसे पढ़ें – आयुर्वेद में भोजन के प्रकार
दोस्तों बहुत से लोगों के लिए ये रूटीन फॉलो करना कठिन हो सकता हैं। लेकिन कुछ साल पहले लोग इसी रूटीन को फॉलो करते थे और वो बिलकुल फिट रहते थे क्योंकि वो अपनी हेल्थ को लेकर जागरूक थे और वे आयुर्वेद को फॉलो करते थे। लेकिन आज वेस्टन लोग आयुर्वेद को फॉलो कर रहे हैं और हम इससे दूर जा रहे हैं। अगर आप इस रूटीन को फॉलो कर सकते हैं तो जरुर करें।
Thank you
Nice post to read and understanding
This Routine is good for all
Can follow everybody